उनकी आँखें अब सूनी थी, उसमें अब इंतज़ार भी नहीं था। उनकी आँखें अब सूनी थी, उसमें अब इंतज़ार भी नहीं था।
वो चलती रहती है केवल पात्र खत्म होते है और एक स्त्री का संघर्ष जीवन भर चलता रहता है। वो चलती रहती है केवल पात्र खत्म होते है और एक स्त्री का संघर्ष जीवन भर चलता रहता...
बहुत थकान महसूस हुई।ओह ! ये क्या। उफ़न गई सारी खीर। बहुत थकान महसूस हुई।ओह ! ये क्या। उफ़न गई सारी खीर।
और बेटियों को अपनी ही बेटी जैसा प्यार एवं मार्गदर्शन प्रदान करते हो। और बेटियों को अपनी ही बेटी जैसा प्यार एवं मार्गदर्शन प्रदान करते हो।
वहां सुकुन नहीं केवल सन्नाटा था वहां अपनापन नहीं केवल उदासी थी| वहां सुकुन नहीं केवल सन्नाटा था वहां अपनापन नहीं केवल उदासी थी|
कुछ लोग जीवन में ऐसे मिलते हैं जो अपनी यादें अमिट छोड़ जाते हैं। कुछ लोग जीवन में ऐसे मिलते हैं जो अपनी यादें अमिट छोड़ जाते हैं।